थायराइड के लक्षण हिंदी में

थायराइड के लक्षण रोग के संकेतों को पहचाने के तरीके थायराइड रोग के प्रकार कारण और इलाज के बारे में जानकारी थायराइड समस्याओं के बारे में हिंदी में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें और आपके स्वास्थ्य का ध्यान रखें।


थायराइड के लक्षण हिंदी में

थाइरॉइड शरीर के एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैड हैं। की तितली के आकार का होता है एक गले मैं स्थित है। थाइरॉइड हार्मोन का स्त्राव होता है जो हमारे मेटाबॉलिज्म की दर को संतुलित करता है। थाइरॉइड ग्लैडस शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। यह हार्मोन मेटाबॉलिज्म को बधाई रखने के लिए जरूरी होता है। थाइरॉइड हार्मोन का स्त्राव जब असंतुलित हो जाता है तो शरीर की समस्त भीतरी कार्य प्रणालियों अवस्थित हो जाती है।

थायराइड के लक्षण हिंदी में

थाइरॉइड दो प्रकार के होते हैं -

हाइपोथायराइड : इसमें थाइरॉइड ग्लैड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकता अनुसार टी.थी व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। इस स्थिति में वजन में अचानक वृद्धि हो जाती है। सुस्ती महसूस होती है, रोजाना की गतिविधियों में रुचि कम हो जाती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। चलने में दिक्कत होती है। ठंड बहुत महसूस होती है। कब्ज होने लगती है। चेहरा व आंखें सूज जाती है। मानसिक चक्र अनियमित हो जाती है। त्वचा रूखी व बाल डिजाइन होकर झड़ने लगते हैं। हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। रोजी तनाव व अवसाद से गिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं। आवाज रखी व भारी भारी हो जाती है। यह रोग 30 से 60 वर्ष की महिलाओं को होता है।

हाइपरथाइरॉइड: इसमें थाइरॉइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी. 3, टी. 4 हार्मोन अधिक मात्रा में निकाल कर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इस स्थिति में वजन अचानक काम हो जाता है। भूख में वृद्धि होती है। रोजी गर्मी सहन नहीं कर पाते। अत्यधिक पसीना आता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। हाथ कांपते हैं और आंखें यूनिडी रहती है। निराशा हावी हो जाती है। धड़कन बढ़ जाती है। नींद नहीं आती। मानसिक रक्तस्त्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाती है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हाइपर थायराइड 20 साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।

हाइपो थाइरॉएड के लक्षण

हाइपो थाइरॉइड (Hypo–Thyroid) – जब थाइरॉइड ग्रंथि बहुत धीरे-धीरे कम होती है या ऐसा करिया हो जाती है तो शरीर में हार्मोन का स्रोत वह संतुलन बिगड़ जाता है। इसमें जरूरी T3 और T4 हारमोंस का संतुलन बिगड़ जाता है हारमोंस थायराइड के निम्न लक्षण है, –

  • शरीर का वजन बढ़ाना
  • अधिक ठंड महसूस होती है
  • मन किसी भी काम में नहीं लगता
  • अक्सर कब्जा हुआ गैस की समस्या रहती है

थाइरॉइड की पहचान

इस बीमारी में कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है और रोगी अक्सर किसी न किसी समस्या की झुन्झता रहता है। इस रोग के कई स्वाभाविक लक्षण देखने में आते हैं जो इस प्रकार है, –

  • अनावश्यक तरीके से वजन का बढ़ना या घटना
  • आवाज का भारी होना
  • गार्डन के निचले भाग में सुजान अथवा गांठ और दर्द की समस्या होना
  • बोलने या कोई काम करने पर सांस फूलने लगना
  • सांस लेने में परेशानी होना
  • डिप्रेशन में पड़ जाना
  • भूख का अनियंत्रित हो जाना
  • नींद या अनिद्रा की परेशानी
  • स्क्रीन का रुख या खुरदुरा पादना
  • स्क्रीन के संबंधित बीमारियां होना
  • अधिक ठंड महसूस होना
पिच युत्री ग्रंथि और थाइरॉइड ग्रंथियां एक साथ क्रिया करती है जिससे शरीर तापमान को नियंत्रित कर सके। थायरोइड ग्लैड के असामान्य रूप से कार्य करने पर या कार्य न कर पाने पर व्यक्ति को ठंड का अनुभव होता है। और शरीर ठंडा होने लगता है। पिट्यूरिटी ग्रंथि TSH स्थिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है। सामान्य व्यक्ति के शरीर में थायरोइड ग्रंथियां T4 हार्मोन का स्रोत करने शरीर का तापमान सामान्य कर देती है जो मौसम के अनुसार शरीर का तापमान ठंड और गर्म रहती है। ठंड अधिक होने पर TSH अधिक और गर्म अधिक होने पर TSH घट जाता है –

थाइरॉइड में खान – पान

  • थायरोइड के रोगी को खाने में आयोडीन युक्त भोजन करना चाहिए। आयोडीन नमक के अलावा समुद्री मछली और समुद्री जीवों और समुद्री सवाल भी अच्छा स्रोत है, इसे आप आयोडीन भोजन प्राप्त कर सकते हैं।
  • हरी साग सब्जी व पत्तेदार ताजी सब्जी अधिक खाएं, हरी मिर्च, धनिया, प्याज, लहसुन टमाटर, बहुत फायदेमंद होती है
  • विटामिन डी युक्त पदार्थ, दूध, गाजर, अंडे, एंड समुद्री मछली, मशरूम का प्रयोग करें।
  • अखरोट, बादाम, सूरजमुखी के बीज, सूखे मेवे खाने चाहिए यह फायदेमंद होते हैं।
  • नारियल, दही, गाय का दूध, नारियल तेल, पनीर भी अच्छा हुआ लाभकारी होता है।

कैफीन और शुगर

इस बीमारी के निदान के लिए कैफीन और शुगर की मात्रा एकदम से कम कर दे। इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थ की मात्रा भी घटा दे जो शरीर के लिए शुगर की तरह काम करते हैं। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें। शरीर के अंदर प्रोटीन ही थाइरॉइड हार्मोन को ढोकर कुंतकों तक पहुंचाते हैं। कार्य प्रणाली को सामान्य किया जा सकता है ।

थाइरॉइड में मछली

थाइरॉइड में मछली फायदेमंद होती है। समुद्री मछली में का आयोडीन काफी मात्रा में पाया जाता है। समुद्री मछलियों जैसे, झींगा सेल्फिश आदि में आयोडीन 3 फैटी एसिड होता है। इसके अलावा ट्यून, सामन, मैंकेयर, साड़ीन, हेलीपैड आदि मछलियों में ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में होता है। जो थाइरॉइड में लाभदायक होता है।

फल और सब्जियां

फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेट्स का प्राथमिक स्रोत होती है। जो शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। सब्जियों में पाए जाने वाले फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है। हरी पत्तेदार सब्जियां थायराइड ग्रंथि के लिए लाभकारी होती है। हाइपरथाइरॉयडिज़्म के करण हड्डियों को पतली और कमजोर होने से बचने के लिए हरी और पत्तेदार सब्जी खानी चाहिए। इनके सेवन से विटामिन डी और कैल्शियम मिलता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। लाल और हरी मिर्च टमाटर और ब्लूबेरी शरीर को बड़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करते हैं। साथी रोगी को फलों का सेवन भी करना चाहिए

नारियल तेल

थाइरॉइड के मरीजों को नारियल तेल का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हल्की यह एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है लेकिन यह थायराइड की बीमारी के लिए इलाज नहीं है। लेकिन यह अपने आहार में अतिरिक्त वसा और तेल को बढ़ाने के लिए सिर्फ एक थाइरॉइड के अनुकूल विकल्प जरूरी है।

कॉड लिवर तेल

कोल्ड लीवर मिल में विटामिन "ए" के साथ-साथ आयोडीन की भी बहुत मात्रा होती है। इसके अलावा, अंडे में प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में होता है। प्राकृतिक अमीनो एसिड के जरिए प्रोटीन आपके थाइरॉइड के लिए बहुत अच्छा होता है।

समुद्री भोजन

ग्रीन सी फ्रूट, प्राकृतिक आयोडीन का सबसे अच्छा स्रोत है। समुद्र की सब्जियां जैसे सागर सिवार, दल्चे और वास्तविक मछली शोरबा विशेष रूप से पौष्टिक होते हैं और थाइरॉइड के लिए अच्छे होते हैं।

अदरक का इस्तेमाल

थाइरॉइड की समस्या से निजात पाने के लिए अदरक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अदरक का प्रयोग मुंह और गले से संबंधित लगभग हर रोगों में किया जाता है। इसका कारण इसने मिलने वाले इफलमेंटरी तत्व होते हैं। इसके साथ ही अदरक में पोटेशियम, मैग्नीशियम की मात्रा भी अधिक होती है। जो गले के रोगों को दूर करने में सहायक होती है।

सनफ्लावर सीड

सनफ्लावर सीड को भूनकर हर रोज सेवन करने से थाइरॉइड होने की आशंका कम हो जाती है। सनफ्लावर सीड का सुबह – शाम एक एक चम्मच सेवन करना है।

लौकी का जूस

लौकी की सब्जी लगभग ज्यादा लोगों को पसंद नहीं होती लेकिन इनका औषधि के रूप में प्रयोग करने करके बहुत फायदा मिलता है हर रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस सेवन करने से थाइरॉइड में आराम मिलता है हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लोग लौकी के जूस को से वन करने के बाद आधे घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए दोस्तों यह तो हमारे कुछ टिप्स जिनका इस्तेमाल करके आप काफी हद तक थायराइड को कंट्रोल में रख सकते हैं। समझित में इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि इस जानकारी से सभी लोग अपने लिए फायदा उठा सके।

थाइरॉइड में योग कैसे करें

योग के जरिए भी थाइरॉइड से बचा जा सकता है।
खासकर कपालभाति करने से थाइरॉइड की समस्या से निजात पाया जा सकता है।

कपालभाति क्रिया: थाइरॉइड कि ऑर्डर होने पर कपालभाति क्रिया के तीन राउंड 5 मिनट तक करें। उज्जैनी प्राणायाम 15 से 20 बार दोहराएं। गर्दन की सूक्ष्म क्रियाएं करें, जिसमे गर्दन को आगे पीछे और लेफ्ट राइट घूमे। ले लाकर सेतुबंध, हलासन, उल्टा लेट कर भुजंग और बैठकर उस्त्रासन, जालंधर बंध आसान करे। सभी आसान दो से तीन बार दोहराएं।

थाइरॉइड की सर्जरी

ज्यादातर मामलों में थाइरॉइड या इसके संक्रमित भाग को निकालने की सर्जरी की जाती है, बाद में बची हुई कोशिकाओं को नष्ट करने या दोबारा इस समस्या के होने पर रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार किया जाता है। थाइरॉइड को सर्जरी के माध्यम से हटाते हैं और उनकी जगह मरीज को हमेशा थाइरॉइड रिप्लेसमेंट हार्मोन लेना पड़ता है। जिसमें कैंसर मौजूद है। जबकि दोबारा होने पर रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार के तहत आयोडीन की मात्रा से उपचार किया जाता है।

सर्जरी के बाद रेडियोएक्टिव आयोडीन की सुराग मरीज के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह कैंसर की सूक्ष्म कोशिकाओं को मार देती है। इसके अलावा, ल्यूटेटियम ऑक्टीयोटाइड उपचार से भी इसका इलाज किया जा सकता है। थाइरॉइड ग्रंथि से कितने कम या ज्यादा मात्रा में हार्मोन निकल रहे हैं, यह खून की जांच से पता लग गया जाता है। खून की जांच तीन तरह से की जाती है, टी – 3, टी – 4 और टीएसएच से। इसमें हारमोंस के स्तर का पता लगाया जाता है। मरीज की स्थिति देखकर डॉक्टर तय करते हैं कि उसको कितनी मात्रा में दवा की खुराक दी जाए, हायपरथाइरॉइड के मरीजों को थाइरॉइड हार्मोस को ब्लैक करने के लिए

अगर किस्म की दवा दी जाती है। हाइपोथायरॉयडिजम का इलाज करने के लिए आरंभ में ऐल थायरोक्सिन सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है। जो थाइरॉइड हार्मोन के स्त्राव को नियंत्रित करता है। तकरीबन 90% मामलों में दवा ताउम्र खानी पड़ती है। पहले ही स्टेज पर इस बीमारी का इलाज कर लिया जाए तो रोगी का दिनचर्या आसान हो जाती है।


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FAQ:

थायराइड के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं ?

थकान, वजन में परिवर्तन, जलन और अत्यधिक पसीना, दिल की धड़कन में परिवर्तन, दर्द या सूजन आदि हो सकते हैं।

थायराइड किस कमी से होता है ?

थायराइड की स्थितियों के पीछे कई कारण हो सकते हैं आयोडीन की कमी अनुशासन की समस्याएं आदि हो सकते हैं।

चावल खाने से थायराइड बढ़ता है क्या ?

थायराइड बढ़ने का कोई सिद्धांत संबंध नहीं है चावल एक सामान्य भोजन है और एक थायराइड के विकास या बढ़ाने का कारण नहीं हो सकता है।

थायराइड में कौन सा फल खा सकते हैं ?

थायराइड के रोगी फल खा सकते सेब, नाशपाती, अंजीर अंगूर, नारंगी आदि फल का सेवन कर सकते हैं।

महिलाओं में थायराइड क्यों होता है ?

महिलाओं में थायराइड की समस्या अनुशासन की समस्या, प्रजनन और गर्भावस्था, उम्र, आयोडीन की कमी, परिवार में थायराइड की समस्या हो सकते हैं।

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