क्षय रोग (टी.बी) लक्षण,कारण,प्रकार और आयुर्वेद उपाय

लेख में क्षय रोग (टी.बी.) आयुर्वेद उपाय हिन्दी जानकरी मिलेगा

छात्रों को हिंदी में राज्यक्षमा और टी.वी कहते हैं, तथा एलोपैथी में इसे ट्यूबरक्लोसिक कहा जाता है। इस रोग रोग के हो जाने पर रोगी व्यक्ति का शरीर कमजोर हो जा सकते है। क्षय रोग हो जाने पर शरीर की धातुओं यानी रस, रक्त आदि का नाश होते है। जब किसी व्यक्ति को छह रोग हो जाता है तो उसके फेफड़े, हड्डियों, ग्रंथियों था आंतो में कहीं उसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।

क्षय रोग (टी.बी) लक्षण,कारण,प्रकार और आयुर्वेद उपाय

क्षय रोग (टी.बी) के लक्षण –

जब किसी स्त्री वह पुरुष को क्षय रोग हो जाता है तब उसका वजन धीरे-धीरे घटने लगता है, तथा बहोत जल्दी थकान महसूस होने लगती है। और इसके साथ-साथ रोगी व्यक्ति को खांसी और बुखार भी हो सकते है। और रोगी व्यक्ति को भूख लगना कम हो जाता है, वह उसके मुंह से कफ के साथ रक्त भी आने लगत है। क्षय रोग में किसी-किसी रोगी के शरीर पर फोड़े तथा फुंसियां होने लगती है।

यह क्षय रोग तीन प्रकार के होता है –
  • फुफ्सीय क्षय
  • पेट का क्षय
  • अस्थि क्षय

क्षय –

किसी प्रकार का फुफ्सीय क्षय रोग जल्दी पहचान में नहीं आता है यह रोग शरीर के अंदर बहुत दिनों तक बना रहता है। जाविया रोग बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है तब इस रोग की पहचान होती है। क्षय (टी.वी) रोग किसी भी उम्र की आयु के स्त्री व पुरुष को हो सकता है अलग-अलग रोगियों में इसकी अलग-अलग पहचान होती है।

फुफ्सीय क्षय रॉकी पहचान –

क्षय रोग से पीड़ित रोगी को सिर में दर्द होता रहता है तथा रोगी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। पीड़ित रोगी की पाचन शक्ति खराब हो जाती है। फुफ्सीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी की हड्डियां गलने लगती है तथा रोगी व्यक्ति के शरीर में आंख कान की कोई बीमारी खड़ी होकर असली रोग पर पर्दा डालें रहती है।
  • फुफ्सीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी की नाडी तेजी से चलने लगती है।
  • फुफ्सीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी की जीभ लाल रंग की हो जाती है और रोगी व्यक्ति के शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
  • क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति को ठीक से नींद नहीं आती है। जब वह चलता है या सोता है तो उसका मुंह खुला रहता है।
  • फुफ्सीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है तथा रोगी व्यक्ति का चेहरा पीला पड़ जाता है तथा रोगी व्यक्ति के चेहरे की चमक को जाती है।
  • रोगी व्यक्ति के शरीर से पसीना अधिक आता है। और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • फुफ्फसीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी को कभी-कभी थूक के साथ खून भी आने लगता है। इसलिए रोगी व्यक्ति को अपने थूक का परीक्षण जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को तेज रोशनी अच्छी नहीं लगती है, और वह कुछ ना कुछ बड़बड़ाता रहता है, और उसके दांत किटकीटते रहते हैं।
  • फुफ्फसीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी को भूख नहीं लगती है, भोजन का स्वाद अच्छा नहीं लगता है तथा उसके शरीर का वजन दिन प्रतिदिन काम होता जाता है।
  • फुफ्फसीय क्षय रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में उठता है। तो भोजन करने के बाद रोगी व्यक्ति को खांसी आती है और उसके सीने में तेज जलन वह दर्द होने लगता है।
  • इस क्षय रोग की पहचान भी बड़ी मुश्किल से होती है। इस रोग से पीड़ित रोगी के पेट के अंदर गांठे पड़ जाती है।

पेट का क्षय रोग के लक्षण –

  • जब पेट में क्षय रोग से पीड़ित रोगी को बार-बार दस्त आने लगते हैं।
  • रोगी व्यक्ति के शरीर में अधिक कमजोरी हो जाती है और उसके शरीर का वजन दिन प्रतिदिन घटना रहता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के पेट में कभी-कभी दर्द भी होता है।
  • हड्डी का क्षय रोग – इस रोग के कारण रोगी की हड्डी बहुत अधिक प्रभावित होती है तथा हड्डी के आसपास की मांसपेशियां भी प्रभावित होती है।
  • हड्डी के क्षय रोग की पहचान – इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर पर फोड़े फुंसियां तथा जख्म हो जाते हैं और यह जख्म किसी भी तरह से ठीक नहीं होते हैं।
क्षय रोग (टी.बी) लक्षण,कारण,प्रकार और आयुर्वेद उपाय

क्षय रोग (टी.बी.) होने का कारण –

  • क्षय रोग उसे व्यक्ति को अधिक होता है जिसके खान-पान तथा रहन-सहन का तरीका गलत होता है। इस खराब आदतों के कारण शरीर में भी विजातीय द्रव्य (दूषित द्रव्य) जमा हो जाती हैं। वह शरीर में धीरे-धीरे रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  • क्षय रोग ट्यूबरकल नमक किताबों के कारण होता है, यह कीटाणु ट्यूबरकल नमक की तारु फेफड़े आदि में उत्पन्न होकर उसे खाकर नाश्ता कर देते हैं। यह कीटाणु फेफड़े, त्वचा, जोड़ो मेरुदंड, कंठ, हड्डियों हड्डियों आदि शरीर के अंग को नष्ट कर देते हैं।
  • शरीर में होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम हो जाना है। और शरीर में विजातीय द्रव्यों (दूषित द्रव्य) का अधिक संख्य में हो जाना है। क्षय रोग व्यक्ति को तब हो जाता है जब रोगी अपने कार्य करने की क्षमता से अधिक कार्य करता है।
  • जब हम सोच वह पेशाब करने की वेग को रोकने के कारण भी क्षय रोग हो सकते है।
  • किसी अनुचित सेक्स संबंधित कार्य करने वीर्य नष्ट करने के कारण भी क्षय रोग हो जाता है।
  • जब अधिक गीले स्थान पर हम चलते तथा धूल भरे वातावरण में रहने के कारण भी क्षय रोग हो जाता है।
  • प्रकाश तथा धूप की कमी के कारण तथा भोजन संबंधित खान-पान से अनुच्छेद ढंग का प्रयोग करने के कारण भी क्षय रोग हो जाता है।
  • अधिक विषैली दवाइयां का सेवन करने के कारण भी क्षय रोग हो जाता है।

क्षय रोग की अवस्था तीन प्रकार की होती है –

क्षय रोग की पहली अवस्था – क्षय रोग की अवस्था के रोगियों को उपचार हो सकता है। इस अवस्था की रोगियों को खांसी उठती है, तथा खांसी के साथ कभी-कभी कैफ भी आता है, तो कभी नहीं भी आता है तो कभी-कभी कब में रक्त की छींटे दिखाई देते हैं। रोगी व्यक्ति का वजन घटने लगता है इस अवस्था का रोगी जब थोड़ा सा भी कार्य करता है। तो उसे थकावट महसूस होने लगती है और उसके शरीर से पसीना निकलने लगता है। पीड़ित रोगी को रात के समय में बहोत अधिक पसीना आता है, जब दोपहर के समय में बुखार हो जाता है। वह सुबह के समय में बुखार ठीक हो जाता है।

क्षय रोग की दूसरी अवस्था – क्षय रोग की दूसरी अवस्था से पीड़ित रोगी के शरीर से जीवाणु उसके फेफड़ों में अपना जगह बना लेते हैं जिस कारण शरीर का रक्त और मांस नष्ट होने लगता है इस रोग से पीड़ित रोगी को दोपहर के बाद बुखार आने लगता है। तथा उनके जबड़े फूल जाते हैं, और उसके मुंह का रंग लाल हो जाता है रोगी व्यक्ति को रात के समय में अधिक पसीना आता है। क्षय रोग की अवस्था से पीड़ित रोगी के पेट की बीमारी बढ़ जाती है। तथा उसे सूखी खांसी होने लगती है इस अवस्था के क्षय रोग से पीड़ित रोगी के फेफड़े का रंग सफेद से बदलकर नीला हो जाता है। और उसके कफ के साथ रक्त भी गिरना शुरू हो जाता है, रोगी व्यक्ति को उल्टियां भी होने लगती है तथा उसके शरीर का वजन कम हो जाता है इस रोग से पीड़ित रोगी का चपटा हो जाता है, तथा कफ बढ़ जाता है रोगी के मुंह मैं सूजन हो जाती है रोगी के बंगलो में कभी-कभी सुइयां सी चुभती प्रतीत होती है यह अवस्था बहुत ही कष्टदायक होती है।

क्षय रॉक की तीसरी अवस्था – इस अवस्था के रोग से पीड़ित रोगी के दोनों फेफड़े खराब हो जाते हैं तथा रोगी का कंठ भी रोग ग्रस्त हो जाता है। रोगी व्यक्ति को लग तक लग जाते हैं। रोगी की नाक पतली हो जाती है तथा उसके नाखूनों के भीतर का भाग काला पड़ जाता है। रोगी की कनपटियां अंदर धंस जाती है। उसे अपने घुटने के निचले भाग में दर्द महसूस होता रहता है। पैरों की हड्डियों का ऊपरी भाग सूख जाती है। तथा रोगी को खून की उल्टियां होने लगती है। इस अवस्था के क्षय रोग से पीड़ित रोगी की भूख खुल जाती है। इस अवस्था से पीड़ित रोगी सोचता है कि उसका रोग ठीक हो गया है। लेकिन जब इस अवस्था से पीड़ित रोगी बहुत कम ही बच पाते हैं।

क्षय रोग के लिए एक विशेष सावधानी – क्षय रोग (टी.बी.) एक प्रकार का छूट का रोग होता है। इसलिए इस रोग से पीड़ित रोगी के कपड़े, बर्तन तथा रोगी के द्वारा प्रयोग की जाने वाली चीजों को अलग रखना चाहिए, ताकि कोई अन्य उसे उपयोग में ना ला सके क्योंकि यदि कोई व्यक्ति रोगी के कपड़े या उसके द्वारा उपयोग की जाने वाल चीजों का उपयोग किया जाता है ,तो उसे भी क्षय रोग होने का डर बना रहता है।

क्षय रोग (टी.बी.) का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है –

क्षय रोग (टी.बी) लक्षण,कारण,प्रकार और आयुर्वेद उपाय

  • क्षय रोग (टी.बी.) से पीटी रोगी को नारियल का पानी और सफेद पेठे का रस प्रतिदिन पीना चाहिए। जिसके फल स्वरुप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • पालक की ताजी पत्ती तथा दो चम्मच मेथी दाने का कथा 20 ग्राम शहद के साथ प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करने से क्षय रोग (टी.बी.) कुछ दिनों में ठीक हो जाते है।
  • टी.बी. से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक फल, सलाद का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • क्षय रोगी को ठीक करने के लिए अंगूर, अनार, अमरुद, हरी सब्जियों का सूप, खजूर, बादाम, मुनक्का, खरबूजे, की गिरियां, सफेद तिलों का दूध, नींबू पानी, लहसुन, प्याज का सेवन करना चाहिए, जिसके फल स्वरुप यह रो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • जब रोगी व्यक्ति शहद के साथ आंवले के रस का सेवन करने से क्षय रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को नियम या पीपल के पत्ते की छाया में आराम करना चाहिए तथा लंबी गहरी सांस लेनी चाहिए, और सुबह सैर के लिए जाना चाहिए।
  • रोगी (टी.बी.) को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को नीम के पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए। और फिर इसके बाद कटिस्नान और कुंजल क्रिया करन चाहिए। और जब रोगी व्यक्ति को छाती पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए और सुबह के समय में सूर्य के प्रकाश में शरीर की सिकाई करनी चाहिए। और मानसिक चिंता को दूर करना चाहिए।
  • क्षय रोग (टी.बी.) को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन है जिसको करणी से छह रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। आसान इस प्रकार है – गोमुखासन, मत्स्यासन, अत्तान मंडूकासन, कटिचक्रासन, ताड़ासन, नौकासन, धनुरासन तथा मकरासन आदि।
  • क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को शुद्ध और खूली वायु में रहना चाहिए। और सुबह के समय में धूप की रोशनी को अपने शरीर पर पढ़ने देना चाहिए जब सूर्य के किरण से क्षय रोग के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • जब (टी.बी.) रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन बकरी के दूध पीने के लिए देना बहोत फायदे मद होता है। क्योंकि बकरी के दूध में क्षय रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है।
  • यदि रोगी व्यक्ति के पेट में कब्ज बन रही है तो उसे प्रतिदिन एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके और उसके साथ-साथ इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
  • मीठे आम के रस में चम्मच शहद मिलाकर रोगी को कम से कम 25 दिनों तक सेवन करने से क्षय रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  • लहसुन तथा प्याज की 8 से 10 बूंदो में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन चाटने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • प्रतिदिन दो किशमिश तथा दो अखरोट खाने से क्षय रोग (टी.बी.) कुछ ही महीना में ठीक हो जाते हैं।
  • जब (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को खाने के साथ पानी नहीं पीना चाहिए। बल्कि खाना खाने के लगभग 10 मिनट बाद पानी पीना चाहिए।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को अरबी, चावल, बेसन तथा मैदा की बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को सप्ताह में लगभग एक बार काली, तुलसी, मुलहठी, लॉन्ग तथा थोड़ी सी अजवाइन को पानी में उबालकर पानी पीने को दे। इस काढ़े को हल्का गुनगुना करके पीने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन तुलसी की पांच पत्तियां खाने को देनी चाहिए जिसके फल स्वरुप इस रोग का प्रभाव कम हो जाता है।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में नाश्ता करने से पहले गहरी नाली बोतल का सूर्यतपट जल 50 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन कम से कम 2-3 बार पीने से रोगी व्यक्ति का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में सूर्य के सामने पीठ के बाल लाकर अपनी छाती के सामने एक नीले रंग का शिक्षा रखकर उस प्रकाश को छाती पर पढ़ने देना चाहिए। रोगी व्यक्ति को इस तरीके से लेटना चाहिए कि उसका सिर छाती में हो और छाती वाला भाग सूर्य की किरण के सामने हो। इसके बाद नील शीशे को रोगी की छाती से थोड़ी ऊंचाई पर इस प्रकार रखना चाहिए कि करने नील शीशे में से होती हुई रोगी की छाती पर पड़े। इस प्रकार से प्रति दिन उपचार करने से क्षय रोग ठीक हो जाती हैं।
  • जब रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह के समय काम से कम 15 मिनट तक हरी घास पर नंगे पैर चलना चाहिए।
  • यदि रोगी व्यक्ति प्रतिदिन सुबह के समय में खुली हवा में आराम से लाकर कम से कम 10 मिनट तक शवासन क्रिया करें तो उसे बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • रोगी व्यक्ति को नहाने से पहले अपने पूरे शरीर पर घर्षण स्नान करना चाहिए तथा स्पंज बाथ रगड़ रगड़ कर करना चाहिए।
  • रोगी को नहाने से पहले अपने पेटू पर गीली मिट्टी की पट्टी से 10 मिनट लेट करना चाहिए और इसके बाद अपने पूरे शरीर पर मालिश करना चाहिए।
  • क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को अधिक पसीना आ रहा है तो थोड़ी देर के लिए उसे रजाई उड़ा देनी चाहिए ताकि पसीना निकले और फिर 10 मिनट बाद स्वच्छ पानी से उसे स्नान करना चाहिए।
  • रॉकी व्यक्ति को उपचार करते समय अपनी मानसिक परेशानियां तथा चिताओं को दूर कर देना चाहिए।
  • क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी यदि नीम की छाया में प्रतिदिन कम से कम 1 घंटे के लिए आराम करें तो उसे बहुत अधिक आराम मिलता है।
  • क्षय रोग से पीड़ित रोगी को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए।

सोरायसिस की आयुर्वेदिक दवा: तथा करण, लक्ष्ण, और 14 उपाय

FAQ:


क्षय रोग किसकी कमी से होता है ?

क्षय रोग आमतौर पर माइक्रोबैक्टेरियम टयुब्रकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है।

क्षय रोग का दूसरा नाम क्या है ?

टी.बी. को यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग या एमटीबी के रूप में भी जाना जाता है।

टीबी के तीन प्रकार क्या है ?

इन्हें पल्मोनरी टीबी और एकस्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता हैं।

टीबी का पहला चरण क्या है ?

टीवी का पहला चरण को प्राथमिक संक्रमण कहा जाता है।

टीबी के मरीज की पहचान कैसे करें ?

टीबी के मरीजों को निम्न लक्षण देखा जा सकता है – तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार विशेष तौर से शाम को बढ़ाने वाला बुखार, छाती में दर्द, वजन का घटना, भूख में कमी आना, बलगम के साथ खून आना आदि।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

LazyLoad.txt Displaying LazyLoad.txt.