गर्दन में दर्द होने के कारण और उपाय

आप इस लेख में गर्दन में दर्द होने के कारण और उपाय: के बारे में पढ़ने को मिलेगा।

हमारे शरीर में रीड की हड्डी में कुल मिलकर 33 कशेरुकाएं गर्दन से संबंधित होती है। जिसमें सात कशेरुकाएं गर्दन से संबंधित होती है। यह बीमारी ज्यादातर एक तरफ गर्दन मोड कर बैठने, या रात को एक ही करवट लेकर सोने, गर्दन उचका कर देर तक एक ही दिशा में देखने, सिर पर बोझ रखकर बैठने, और सर्दी गर्मी के प्रभाव के कारण वश हो जाता है। और गर्दन के नसों में खिंचाव पैदा होने के कारण दर्द उत्पन्न होता है।

गर्दन में दर्द होने के कारण और उपाय

गर्दन में दर्द होने का लक्षण:

गर्दन में अकड़न नया दर्द होना शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद गर्दन मैं धीरे-धीरे दर्द तथा अकड़न बढ़ती जाती है। इस रोग के कारण दर्द कभी कंधे वह सिर तथा दोनों बाजूओ में शुरू हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी की एक या दोनों बाजूओ में सुन्नत होने लगती है। जिसके कारण रोगी को सब्जी काटने या लिखने में कठिनाई महसूस होती है, सिर मैं चक्कर भी आने लगते हैं, हाथ पैरों की पकड़ कमजोर पड़ जाती है। तथा गर्दन को इधर-उधर घूमने में परेशानी होने लगती है। इस रोग के कारण रोगी को बेचैनी जैसे समस्या भी होने लगती है।


गर्दन में दर्द होने के कारण:

  • अपने भोजन में तली भुनी, ठंडी बासी मसालेदार पदार्थ का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का कारण हो सकता है।
  • गर्दन मैं दर्द गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से भी हो सकता है जैसे – खड़े रहना या कुबड़ निकाल कर बैठना।
  • भोजन में खनिज लवण तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या होने लगती है।
  • कब्ज बनने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • पाचन शक्ति में गड़बड़ी हो जाने के कारण गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • अधिक चिंता, क्रोध, ईर्ष्यप, शोक या मानसिक तनाव की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • किसी दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • जब हम अधिक शारीरिक कार्य करते है, तो इस कारण से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • मोटे गद्दे और नर्म गद्दे पर सोने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • गर्दन का अधिक कार्यों में इस्तेमाल करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • अधिक देर तक झुक कर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • व्यायाम न करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • अधिक दवाइयां का सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • कोई भी प्रकार से शारीरिक कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।


गर्दन में दर्द का घरेलू इलाज:

  • सोंठ के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर गर्दन पर मालिश करें, इससे आराम मिलेगा।
  • खसखस तथा मिश्री, दोनों 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा इन्हें पीसकर चूर्ण बना ले। इस चरण में से 5 ग्राम चूर्ण रात में सोने से पहले दूध के साथ सेवन करें।
  • एंड खरबूजे का पत्ता गर्म करके उसे पर जरा सा तेल चुपड़े ले। फिर इस पत्ते की गर्दन पर लपेटकर ऊपर से पट्टी बांध लें।
  • राय का तेल 10 ग्राम और सरसों का तेल 10 ग्राम दोनों को मिलाकर गर्दन पर धीरे-धीरे मालिश करें, इससे दर्द में कुछ राहत मिलेगा।
  • लौंग के तेल और सरसों के तेल में मिलाकर गर्दन पर मालिश करें।
  • एरंड के बीज की मिंग दूध में पीसकर रोगी को पिलाएं। इसे गण तथा कमर, दोनों जगह का दर्द कम हो जाता है।
  • सरसों के तेल में कपूर पीस कर मिला ले और गर्दन पर धीरे-धीरे मालिश करें। इसे गर्दन का दर्द कम हो जाता है।
  • लहसुन का तेल सरसों के तेल में मिलाकर लगाए। असगंध तथा सोठ के एक एक चम्मच चूर्ण की (दो मात्रा) सुबह शाम दूध के साथ सेवन करें।
  • अजवाइन को पोटली में बांधकर उसे तवे पर गर्म करें फिर इस पोटली में गर्दन की सिकाई करें।
  • मेथी के दोनों को पीसकर पानी में पेस्ट बना लें। दिन में तीन बार गर्दन पर लगाएं।


गर्दन में दर्द का प्राकृतिक चिकित्सा:

  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए।
  • इस रोग में पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन "डी" लोहा फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हड्डियों का विकास सही तरीके से हो सके और हड्डियों में कोई रोग पैदा ना हो सके। शरीर में विटामिन "डी" लोहा, फस्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बधाई रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नींबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन करना चाहिए।
  • गर्दन के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी वह अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के ही एक भाग जल चिकित्सा का सलाह दिया जा सकता है। इस उपचार के द्वारा रोगी को स्टीमबाथ (भापस्नाना) कराया जाता है। और उनकी गर्दन पर गर्म पट्टी का सेंक करते हैं तथा इसके बाद रोगी को रीढ स्नान कराया जाता है जिसके फल स्वरुप रोगी की गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी के शरीर में रक्त संचार (खून का प्रवाह) बढ़ जाता है और रोमकुपों द्वारा विजातीय पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिसके फल स्वरुप रोगी का गर्दन का दर्द तथा अकड़न होना दूर हो जाता है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए सूर्य किरणों द्वारा बनाई गई लाल वह नंगी जल का उपयोग करने से रोगी को बहुत अधिक फायदा होता है। सूर्य की करने में हड्डियों को मजबूत करने के लिए विटामिन "डी" होता है। सूर्य की किरणों से शरीर में विटामिन "डी" को लेने के लिए रोगी को पेट के बाल खुले स्थान पर जहां पर सूर्य की किरण पड़ रही हो उसे स्थान पर लेटना चाहिए। ताकि सूर्य की किरण सीधे उसकी गर्दन व रीढ की हड्डी पर पड़े इस क्रिया को करते समय सिर पर कोई कपड़ा रख लेना चाहिए ताकि सर पर छाया रहे।
  • योगासन के द्वारा भी गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए सबसे पहले गर्दन को पीछे की और ले जाएं और फिर धीरे-धीरे गर्दन को आगे की ओर झुकाए। इसके कुछ देर बाद गर्दन को दाएं से बाएं तथा फिर बाएं से दाएं हल्के झटके के साथ घुमाएं।
  • गर्दन में दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए भुजगासन, धनुरासन या फिर सर्पासन करना लाभकारी होता है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए प्राणायाम व्यंजन का अभ्यास करें।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना सुबह के समय में खुली ताजी हवा में घूमें।
  • गर्दन में दर्द होने पर इसका उपचार करने के लिए सबसे पहले गार्डन में दर्द होने के कर्म को दूर करना चाहिए।
  • योग अभ्यास तथा विशेष व्यायाम से गर्दन के दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
  • गर्दन के दर्द से पीड़ित रोगी को अपने कंधों को ऊपर से नीचे की ओर करना कंधों को सामने तथा पीछे की और गतिशील करना चाहिए इससे गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कंधों को घड़ी की दिशा में सीधी तथा उलटी दिशा में घूमना चाहिए जिससे गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
  • गर्दन से पीड़ित रोगी को अपनी उंगलियों को गर्दन के पीछे आपस में फसना चाहिए और फिर फैंसी उंगलियों की तरफ दबाव देते हुए अपने कोहनी को आगे से पीछे की और गतिशील करना चाहिए जिससे फल स्वरुप गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।


गर्दन में दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए सावधानियां:

  • सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • सोते समय गार्डन के नीचे तकिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी कार्य को करते समय अपनी रीढ की हड्डी को देनी हुई और बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए।
  • गर्दन के दर्द तथा आंकड़ा एन का उपचार करते समय अधिक सोच विचार नहीं चाहिएं।
  • गर्दन मैं दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए वह कार्य नहीं करना चाहिए जिससे गर्दन या आंखों पर अधिक बोझ या तनाव पडे।
  • गर्दन मैं दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए प्रतिदिन 6 से 8 घंटे की तनाव रहित नींद लेना बहुत ही जरूरी है।
  • गर्दन के दर्द तथा आंकड़ा से बचने के लिए यह ध्यान देना चाहिए कि यदि खड़े हैं तो टैंकर खड़े हो तो अपनी पीठ सीधी रखनी चाहिए।
  • आगे की ओर झुक कर किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए।


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FAQ:

गर्दन में दर्द क्यों हो रहा है ?

गर्दन में दर्द मोच और मांसपेशियों में ऐंठन के कारण हो सकता है।

गर्दन दर्द से कौन सी बीमारी जुड़ी है ?

मैनींजाइटिस, कैंसर, और गठिया जैसी कई बीमारियों भी गार्डन के दर्द के कारण हो सकते हैं।

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