नीम के पत्ती के फायदे: जो औषधिक रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार करने में मदद करता है।
नीम के पेड़ से शायद ही कोई अपरिचित हो, नीम को उसके कड़वेपन के कारण जाना जाता है। सभी लोगों को पता होगा कि कड़वा बाद भी नीम स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक होता है, लेकिन नीम के फायदे क्या-क्या है या नीम का उपयोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं इस बात की पूरी जानकारी आपको नहीं होगी। नीम के गुना के कारण इस धरती का कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। आमतौर पर लोग नीम का प्रयोग गांव चर्म रोग में फायदा लेने के लिए करते हैं लेकिन सच या है नीम के फायदे अन्य के रोगों में भी मिलते हैं। नीम के पत्ते का कथा गांव को धोने में कार्बोलिक साबुन से भी अधिक उपयोगी है, कुष्ठ यदि चर्म रोगों पर भी नींद बहुत लाभदायक है। इसके रेशे – रेशे में खून को साफ करने के गन भरे पड़े हैं। नीम का तेल टीबी या क्षय रोग को जन्म देने वाले जीवाणु की तीन जातियों का नाश करने वाले गुना से युक्त पाया गया है।
नीम भारतीय मूल का एक पूर्ण पतझड़ वृक्ष है जो 15 से 20 मीटर (लगभग 50 – 65 फूट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। कभी-कभी 35 से 40 मीटर (115 – 131 फूट) तक भी ऊंचा हो सकता है। इसकी खास शाखाएं यानी झाड़ियां काफी फैली हुई होती है, तना सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर तक पहुंच सकता है। इसके चल कठोर तथा दरार युक्त होती है और इसका रंग सफेद – घूसर या लाल, भूरा भी हो सकता है। 20 – 40 सेमी (8 से 16 इंच) तक लंबी पत्तियों की लड़ी होती है जिसमें 20 से लेकर 31 तक गहरे हरे रंग के पत्ते होते हैं। इसके फूल सफेद और सुगंधित होते हैं। इसका फल चिकन तथा अंडाकार होता है और इसे की निबौली कहते हैं। फल का छिलका पतला तथा गुदे तथा रेशेदार, सफेद पीले रंग का और सवाद में कड़वा मीठा होता है। इसकी गुठली सफेद और कठोर होती है जिसमें एक या कभी-कभी दो से तीन बीज होते हैं।
नीम के पत्ती के फायदे:
त्वचा संक्रमण से राहत दिलाये नीम:
त्वचा में संक्रमण से राहत दिलाने में नीम से अच्छा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि नेम में एंटीबैट्रीअल और एंटीवायरस जैसे गुण पाए जाते हैं जो की त्वचा के संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं।
सिर का दर्द भगाए नीम का उपयोग:
सुख नीम के पत्ते, काली मिर्च और चावल को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना ले। सूर्योदय से पहले सिर के जी और दर्द हो, इस और की नाक में इस चूर्ण को एक चुटकी भर नाक में डालें। इसे आधा सीसी (अधकपारी) के दर्द यानी माइग्रेन में जल्द लाभ होता है।
नीम की पत्ती का खाली पेट सेवन:
नीम की पत्ती का खाली पेट सेवन करने से आपका खून साफ होता है, नीम की पत्ती मधुमेह जैसी बीमारियों को भी सही करने में बहुत कारगर साबित होता है। नीम के पत्ती के सेवन से हमारे रक्त में उपस्थित शर्करा को नियंत्रित किया जा सकता है, यह मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी को भी रोकने के लिए बहुत कारगर साबित होता है, नीम के पत्ती के अंदर बहुत सारे ऐसी योगी गुण उपलब्ध है। जो मधुमेह जैसी बीमारियों को रोकने और इससे सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त है। जिन लोगों को मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारियों का शिकार है। उन्हें खाली पेट नीम की चार से पांच पत्तियों का सेवन रोजाना जरूर करना चाहिए। यह उपचार आपको मधुमेह की बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए कारगर है।
नीम के तेल का प्रयोग:
नीम के तेल में मौजूद गुण बालों को टूटने नहीं देते हैं और बालों को जड़ से मजबूत बनाते हैं। नीम के तेल में एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं जो दांतों में होने वाली समस्याओं जैसे दांतों की दर्द, दांतों का कैंसर, दांतो मे सड़न आदि में राहत देता है।
नीम के तेल से मालिश करने से चेहरे का दाग यानि एक्ने की समस्या दूर हो जाती है
यदि मच्छरों से परेशान हो तो नीम के तेल की 12 बूंदों को एक कटोरा नारियल तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करें इससे आपके मच्छर कटेगें नही।
नीम के अन्य विशिष्ट उपयोग:
- सुबह उठते ही नीम की दातुन करने तथा फूलों के कड़े से कुल्ला करने से दांत और मसूड़े निरोग और मजबूत होते हैं।
- दोपहर को इसकी शीतल छाए में आराम करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
- शाम को इसकी सूखी पत्तियों के धुएं से मच्छर भाग जाते हैं।
- इसकी मुलायक कोंपलों को जवानी से हाजमा ठीक रहता है।
- सूखी पत्तियों को अनाज में रखने से उनमें कीड़े नहीं पढ़ते है।
- नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर स्नान करने से अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाती है। सिर – स्नान से बालों के जुएं मर जाते हैं।
- नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुंदर हो जाता है।
- नीम के पत्तों का रस खून साफ करता है और खून बढ़ता भी है। इसे 5 से 10 मिली की मात्रा में रोज सेवन करना चाहिए।
मुंहासे में नीम के फायदे:
नीम त्वचा के लिए औषधि के रूप में प्रयोग में लाये जाने वाला सबसे प्रसिद्ध प्राकृतिक साधन है। साथी यह मुंहासो पर दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है यानी कि नीम को चेहरे पर सीधे ही लगा सकते हैं और इसको खाने से भी त्वचा के विकार या बीमारियां ठीक होते हैं।
रक्त के शुद्धिकरण में नीम के फायदे:
अगर आपके रक्त में अशुद्धियों के कारण आप तो अच्छा संबंधित विकारों से परेशान है तो नीम का सेवन आपके लिए रामबाण इलाज है, क्योंकि नींद में रक्त शोधन का गुण पाया जाता है।
नीम से जोड़ों के दर्द में फायदे:
अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान है तो आप नीम का प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि नेम में एंटीइनफ्लेमेट का अच्छा पाया जाता है जो की जड़ों के सूजन को दूर कर के दर्द में बहोत जल्दी आराम देता है।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है नीम:
नीम पत्ती का एक्सट्रैक्ट आपके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि रिसर्च के अनुसार नीम के पत्ती मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने नहीं देता है।
मुंह के छालों के उपचार में नीम के फायदे:
यदि आप छालों से परेशान है तो आपके लिए नीम की पत्ती शबाना साथ ही उसको खाना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि नीम की पत्तियों में रोपण (हीलिंग) काग होता है जो की छालों को जल्दी भरने में मदद करता है।
लू की जलन में नीम से लाभ:
10 ग्राम नेम पंचांग का चूर्ण तथा 10 ग्राम मिश्री को मिला लें। इस पानी के साथ पीस छानकर पिलाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है तथा लू से होने वाले परेशानियां दूर हो जाती है।
बुखार में नीम से लाभ:
- 20 20 ग्राम नीम, तुलसी तथा हुरहूर के पत्ते तथा गिलोय और छः ग्राम काली मिर्च को मिला ले। इसी महीने पीसकर पानी के साथ मिलकर 2.5 – 2.5 ग्राम की गोली बना लें। 2 – 2 घंटे के अंदर पर 1 – 1 गोली गर्म पानी से सेवन करें। बुखार जल्द ही ठीक हो जाएगा।
- नीम की छाल 5 ग्राम और आधा ग्राम लोंग या दालचीनी को मिलाकर चूर्ण बना ले। इसे 2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ लेने से साधारण वायरल बुखार, मियादी टाइफाइड बुखार एवं खून विकार दूर होते हैं।
- नीम की छाल, धनिया, लाल चंदन, पक्षकष्ट, गिलोय और सोंठ का काढ़ा बनाकर 10 – 30 मिली मात्रा में सेवन करने से सब प्रकार के बुखार में लाभ होता है।
- 20 ग्राम नीम के जड़ की अंदर के छाल को मोटा-मोटा कुटल लें। इसमें 160 मिली पानी मिलाकर मटकी में रात भर भिगोकर सुबह पकाए। एक चौथ यानी 40 मिली पानी शेष रहने पर छानकर पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
- 50 ग्राम नीम के जड़ की अंदर की छाल को मोटा मोटा कूट लें। इसे 600 मिली पानी में 18 मिनट तक उबालकर छान ले। तेज बुखार में जब किसी दवाई से लाभ न हो तो इस काढ़े को 40 से 60 मिली की मात्रा में बुखार चढ़ने से पहले दो से तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
- नीम की छाल, सोंठ, पीपलामुल, हरड, कुटकी और अमलतास को बराबर भाग ले। इसे एक लीटर पानी में आठवां भाग शेष बचना तक पकाएं। इस कार्ड है को 10 – 20 मिली मात्रा में सुबह शाम सेवन करें। बुखार समाप्त हो जाएगा।
- नीम की छाल, मुनक्का और गिलोय को बराबर भाग में मिला लें। 100 मिली पानी में काढ़ा बनाकर 20 मिली की मात्रा में सुबह, दोपहर तथा शाम को पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
- नीम के कोमल पत्तों में आधा भाग फिटकरी की भस्म मिलाकर पीस ले। आधे – आधे ग्राम की गोलियां बना ले। एक एक गोली मिश्री के शरबत के साथ लेने से सब प्रकार के बुखार विशेष कर तेज बुखार में बहुत लाभ होता है।
घाव में नीम से फायदा:
- हमेशा बाटी रहने वाली जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार से धो ले। इसके बाद नीम की छाल की राख को उसमें भर दे। 7 – 8 दिन में घाव पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।
- 10 ग्राम नीम की गिरी तथा 20 ग्राम मोम को 100 ग्राम तेल डालकर पकाएं। जब दोनों अच्छी तरह मिल जाए तो आज से उतर कर 10 ग्राम राल का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह हिला कर रख ले। यह मलहम, आज से जले हुए और अन्य गांव के लिए लाभदायक है।
- आग से जले हुए स्थान पर नीम के तेल को लगाने से जल्द लाभ होता है। इसे जलन भी शांत हो जाता है।
- 50 मिली नीम के तेल में 10 ग्राम कपूर मिलाकर रख ले। इसमें रुई का फाहा डूबा कर घाव पर लगाने से घाव सुख कर ठीक हो जाता है। इससे पहले घाव को फिटकरी मिले हुए नीम के पत्ते का काढ़े से साफ कर ले।
नीम के उपयोग से चर्म रोग में लाभ:
- नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी 10 – 10 ग्राम को अलग-अलग नीम के ताजे पत्ते के रस में पीस ले। मीलाते समय ऊपर से पत्तों का रस डालते जाएं। जब मिलकर उबटन की तरह हो जाए, तब प्रयोग में लाएं। यह उबटन खुजली, दाद, वर्ष तथा गर्मी में होने वाली फुंसियों, शीतपित्त (पित्त निकलना) तथा शारीरिक दुर्गंध आदित्य त्वचा के सभी रोगों को दूर करता है।
- छाजन (एक प्रकार का एक्जिमा) दाद, खुजली, फोड़ा, पैंसी, उपदंश यानी सिफलिस आदि रोग होने पर 100 वर्ष पुरानी नीम पेड़ की सूखी छाल को महीन पीस ले। रात में 3 ग्राम चूर्ण को 250 मिली पानी में भिगो दे और सुबह छानकर शहद मिलाकर पिलाएं। सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाएंगे।
- एक्जिमा सुख हो या पीव वाला, नीम के पत्ते के रस में पट्टी को तर कर बढ़ने से और बादलते रहने से लाभ होता है। नीम के पत्तों को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
- नीम के 8 से 10 पत्तों को दही व शहर के साथ पीसकर लेप करने से दाद तथा घावों में लाभ होता है।
- नीम के पत्ते के रस में कत्था, गंधक, सुहागा, पित्त – पापड़ा, नीलाथोथा वह कलौंजी बराबर भाग में मिलकर खूब घोट – पीसकर गोली बना ले। गोली को पानी में घिसकर दादा पर लगाएं। इससे चर्म रोग में लाभ होता है।
- नीम के अंदर की छाल को रात भर पानी में भिगो दे। सुबह इस पानी को छानकर चार ग्राम आंवले के चरण के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पुराना शीतपित्त (पित्त निकलने की परेशानी) ठीक हो जाता है।
बवासीर में फायदेमंद नीम का प्रयोग:
- 50 मिली नीम तेल, 3 ग्राम कच्ची फिटकरी तथा 3 ग्राम सुहाग को महीन पीसकर मिला दे। शौच क्रिया में धोने के बाद इस मिश्रण को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाएं। इससे कुछ ही दिनों में बवासीर ठीक हो जाता है।
- नीम के बीजों तथा बकायन के बीजों की सूखी गिरी, छोटी हरड़ शुद्ध रसौत 50 – 50 ग्राम तथा घी में भुनी हींग 5 ग्राम लें। इन सबका महीन चूर्ण बना ले। इसमें 50 ग्राम बी निकले हुए मुनक्का को पीसकर 500 मिली का गोलियां बना ले। 1 – 2 गोली को दिन में दो बार बकरी के दूध या ताजा पानी के साथ सेवन करने से सब प्रकार के बवासीर में लाभ होता है। खून गिरना बंद होता है और दर्द भी समाप्त हो जाता है।
नीम का से वन करता है पेट के कीड़ों को खत्म:
- नीम के फायदे से पेट के रोगों को भी ठीक किया जा सकता है। नीम की छाल, इन्द्रजौ और वायबिडंग बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले। इस चरण की 1.5 ग्राम मात्रा में चौथाई ग्राम भूनी हींग मिला लें। इस मिश्रण को मधुमेह में मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- बैगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8 से 10 पत्तों को छौक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- नीम के पत्तों का रस निकालकर 5 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े समाप्त हो हैं।
नीम का उपयोग:
नीम के उपयोगी हिस्से
नीम के कई भागों का औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है –
- नीम के तने
- जड़ की छाल
- लकड़ी
- पत्ते
- फूल
- फल
- बीज
- नीम के तेल
नीम के सेवन करने का विधि
- चूर्ण: 1 – 3 ग्राम
- काढ़ा: 50 – 100 मिली
अधिक लाभ के लिए चिकित्सा के परामर्श अनुसार नीम का प्रयोग करें।
परहेज:
नीम के नुकसान तथा सावधानियां
- नीम कामशक्ति को घटना है, इसलिए जिनको ऐसी परेशानी हो उन्हें नीम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- मघपान (शराब का सेवन) करने वालों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- नीम को खाने से कोई परेशानी है, तो सेंधा नमक, घी और गाय का दूध इसके दुष्प्रभाव को दूर करते हैं।
- और अधिक लाभ के लिए अपने चिकित्सक के परामर्श अनुसार नीम का प्रयोग करें।
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FAQ:
नीम के कितने पत्ते रोज खाने चाहिए ?
सुबह के समय हर दिन नीम के 6 से 8 पत्तियों का सेवन करना चाहिए।
क्या नीम शुगर बढ़ता है ?
आमतौर पर देखे तो नीम की पत्तियों में तिक्त और कषाय रस पाया जाता है, जो शरीर के अंदर पहुंचकर मधुर रस यानी ब्लड शुगर को काम करता है।
नीम के पत्ते का साइड इफेक्ट क्या है ?
आमतौर देखा जाए ज्यादा नीम की पत्तियों का सेवन करने से आपको मत लिया पेट में जलन आदि हो सकते हैं।
नीम का तासीर क्या होता है ?
नीम की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी सीने में जलन और पाचन को सुधारने में मदद करता है।
नीम कब नहीं खानी चाहिए ?
माना जाता है एक अध्ययन के अनुसार लगातार तीन हफ्ते तक नीम का सेवन करने से शरीर में एलर्जी का प्रतिक्रिया हुई जो की दाने और चक्कते के रूप में नजर आते हैं।
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