शिघ्रपतन का कारण, लक्षण और उपचार आयुर्वेदिक

अगर आप संतुष्ट नही हो पाते और हो जाता है, वीर्य स्खलन तो हम जानेंगे की शिघ्रपतन का उपचार आयुर्वेदिक के बारे में जानकारी

बिना संतुष्टि के संभोग करते हुए अगर वीर्य स्खलन हो जाये तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है।

कारण:

अश्लील वातावरण में रहना, मस्तिष्क की कमजोरी और हम सहवास की कल्पना में खोये रहना यह शीघ्रपतन के कारण बनती है। ज्यादा गर्मी मिर्च मसालों वह अम्ल रसों से खाद्य पदार्थों का सेवन करने, शराब पीने, चाय कॉफी का ज्यादा पीना और अश्लील फिल्म दिखने वाले, अश्लील पुस्तक पढ़ने वाले शीघ्रपतन से पीड़ित रहते हैं।

शिघ्रपतन का कारण, लक्षण और उपचार आयुर्वेदिक

लक्षण:

जब वीर्य का पतला होता है, तो सहवास के समय स्तंभन (सहवास) शक्ति का अभाव अथवा शीघ्रपतन हो जाना वीर्य का जल्दी निकल जाना है।

भोजन का परहेज:

दिन में खाने के साथ दूध ले, मौसमी फल, बादाम प्याज और लहसुन का प्रयोग करें। दवा के साथ गुड़, मिर्च, तेल, खटाई, मैथुन, और प्याज पैदा करने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए पत्नी के साथ सहवाह के साथ रहते समय यह ध्यान रखें की वाद – विवाद के उलझन से दूर रहे।

विभिन्न औषधि से उपचार –

1. छोटी माई – जब आप छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।

2. बरगद – बरगद के दूध की 20 से 30 बूंदे बताशे या चीनी पर डालकर रोज सवेरे खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है।
  • 3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोपले, 3 ग्राम गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री सिल पर पीसकर लुगड़ी बना लें, इसे खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पीऐं, इसे 40 दिन तक खाने से लाभ मिलता है।
  • बरगद की कच्चे फलों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह शाम गाय के दूध के साथ लेने से स्वप्रदोष और शीघ्रपतन मिट जाता है।
  • सूर्य उदय से पहले बरगद के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में दो से चार बूंद टपक कर खाएं। एक बार में ऐसा प्रयोग 2 से 3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2 – 2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5 से 6 हफ्ते तक प्रयोग करना चाहिए। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन (वीर्य का जल्दी निकल जाना) बालवीर बुद्धि के लिए, वीर्य का पतलापन, स्वप्रदोष, प्रमेह (वीर्य दोष) और खूनी बवासीर आदि सभी रोग ठीक हो जाता है।

3. गिलोय – गिलोय का चूर्ण और वंशलोचन को बराबर मिला पीसकर 2 ग्राम के रूप में खाने से शीघ्रपतन नही होता है।

4. कुलिंजर – लगभग डेढ़ ग्राम कुलींजर का चूर्ण 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर पी ले इससे शीघ्रपतन नहीं होता है।

5. पीपल – पीपल के पेड़ का फल, जड़, छाल और कोंपल को पीसकर दूध में अच्छी तरह उबालकर गरमा गरम शहद और चीनी मिलाकर सुबह – शाम खाने से लाभ होता है।

6. सिरस – सिरस के फलों का रस 10 मिलीलीटर या 20 मिलीलीटर सुबह शाम मिश्री मिले दूध के साथ लेने से वीर्य स्तंभन होता है।

7. बबूल – बबूल की फली का चरण 3 से 6 ग्राम सुबह शाम चीनी मिलाकर खाने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।

8. पिण्ड खजूर – पिण्ड खजूर के पांच फल रोज खाएं और ऊपर से मिश्री मिला दूध कम से कम 250 मिलीलीटर रोज पिए तो इसे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।

9. कतीरा गोंद – कतीरा गोंद 1 से 2 चम्मच चूर्ण रात में सोते समय पानी में भिगो दे। सवेरे मिश्री या शक्कर को मिलाकर शर्बत की तरह रोज घोटकर खाने से वीर्य की मात्रा, गाढ़ापन और स्तंभन शक्ति की वृद्धि होती है।

10. असगंध नागौरी – असगंध नागौरी का चूर्ण 1 चम्मच और 3 कालीमिर्च के चूर्ण को मिलाकर रोज रात को सोते समय खाने से शीघ्रपतन और वीर्य सम्बन्धी सारे रोग दूर होते हैं।

11. उड़न – अंकुरित उड़द की दाल में मिश्री या शक्कर को डालकर कम से कम 58 ग्राम की मात्रा में रोज खाने से शीघ्रपतन दूर होता है।
  • उड़द की बेसन को घी में हल्का भूनकर रख ले। लगभग 50 ग्राम रोज मिश्री मिले को उबालकर रोज रात में सेवन करने से वीर्य और नपुंसकता से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं।

12. शकरकंद – सुखी शकरकंदन को कूट छानकर चूर्ण तैयार करें, फिर उसे घी और चीनी की चासनी में डालकर हल्का तैयार करके इस हलवे को खाने से वीर्य गाढ़ा होता है।

13. कौच – कौच के बीजों की गिरी का चरण और खसखस के बीजों का चूर्ण 4 या 6 ग्राम लेकर चूर्ण को फांट या धोल के रूप में सेवन करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।
  • कौच के बीज का चूर्ण, तालमखाना और मिश्री, तीनों बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुबह शाम तीन-तीन ग्राम चूर्ण खाकर, ऊपर से दूध पीना शीघ्रपतन में लाभदायक होता है।
  • आप कौच की जड़ लगभग 1 अंगुल लम्बी मुंह में दबाकर सहवास करने से शीघ्रपतन में लाभ होता है।

14. वंशलोचन – वंशलोचन, सतगिलोय 10 – 10 ग्राम पीसकर एक-एक ग्राम सुबह शाम शहर के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन आराम मिलता है।

15. बहुफली – बहुफली को 50 ग्राम पीसकर 5 ग्राम सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

16. काले तिल – काले तिल 50 ग्राम अजवाइन 25 ग्राम पीसकर इसमें 75 ग्राम खांड को मिलाकर 5 – 5 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

17. ब्रह्मदंडी – ब्रह्मदंडी, बहुफली 50-50 ग्राम कूट छानकर इसमें 100 ग्राम खांड को मिलाकर 10 ग्राम को खुराक के रूप में सुबह पानी के साथ सेवन करें।
  • ब्रह्मदंडी बहुफली, बीजबन्द, पलंग तोड़ 50–50 ग्राम कूट छान कर इसमें 100 ग्राम खांड मिलाकर 10–10 ग्राम को दिन में सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन के रोगी को लाभ होगा।

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18. बिदारिकंद – बिदारिकद, गोखरूदेसी 50–50 ग्राम कूट छान कर 5 – 5 ग्राम खांड को मिलाकर दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करें।

19. लाजवंती – लाजवंती के बीज 75 ग्राम पीसकर इसमें 75 ग्राम खांड मिलाकर पांच-पांच ग्राम को सुबह शाम खांड मिलाकर गर्म दूध के साथ लें।

20. मूसली सिंबल – मूसली सिंबल 60 ग्राम कुटी छनी में खांड 60 ग्राम मिलाकर 6 – 6 ग्राम पानी या दूध से सेवन करें।

FAQ:

शुक्राणु बनाने में कितने दिन लगते हैं ?

शुक्राणुओं की बनने की पूरी प्रक्रिया की तो इसमें करीब 72 दिन का समय लग जाता है।

कौन सा विटामिन शुक्राणु पैदा करता है ?

शरीर में शुक्राणु विटामिन “B 12” उत्पादन के लिए एक आवश्यक विटामिन है।

अगर आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो जाए तो क्या होता है ?

यह निराशाजनक हो सकता है, अगर यह सेक्स को काम आनंददायक बनाता है। औ ओर आपके रिश्तों पर असर डालता है।

शुक्राणु कब कमजोर हो जाती है ?

जब किसी पुरुष के वीर्य में शुक्राणु कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप कम हो जाती है।

स्पर्म की क्वालिटी कैसे चेक करें ?

लेबोरेटरी में शुक्राणुओं के आकार से असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।

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