तुलसी का औषधीय महत्व: जो सेहत के लिए फायदेमंद है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार करने में मदद करता हैं।
तुलसी एक औषधिय पौधा है जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुना से भरपूर इस औषधिय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है। तुलसी के धार्मिक महत्व के कारण हर घर आंगन में इसके पौधे लगाए जाते हैं। तुलसी की कई प्रजातियां मिलती है, जिसमें श्रेष्ठ व कृष्ण प्रमुख है, इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है।
तुलसी का औषधीय महत्व:
औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती है। इसको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं। तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं। तीन पत्तियों में कफ वात दोश को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरिया संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद है। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है। आइए तुलसी के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं –
बुखार से आराम:
तुलसी का पौधा से साथ तुलसी के पत्र तथा पांच लॉन्ग लेकर एक गिलास पानी में पकाए। तुलसी पत्र व लॉन्ग को पानी में डालने से पहले टुकड़े कर ले। पानी पका कर जब आधा शेष रह जाए, जब थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गर्म – गर्म पी जाए, यह कथा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़ कर पसीना ले। इस बुखार तुरंत उतर जाता है तथा सर्दी, जुखाम वह खांसी भी ठीक हो जाती है। इस काढ़े को दिन में दो बार दो-तीन दिन तक ले सकते हैं। छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम होने पर तुलसी वह 5 – 7 बूंद अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से बच्चों का कफ, सर्दी, जुकाम, ठीक हो जाता है। नवजात शिशु को यह नहीं दे।
खांसी से आराम:
तुलसी की पत्तियां (Basil leaves in hindi) से बने शर्बत को आधी से डेढ़ चम्मच की मात्रा में बच्चों को तथा दो से चार चम्मच तक बड़ों को सेवन करने से, खांसी, श्रवस, कुक्कुर खांसी और गले की खराश में लाभ होता है। इस शर्बत में गर्म पानी मिलाकर लेने से जुकाम तथा दमा में बहुत लाभ होता है, इस शर्बत को बनाने के लिए कास, श्रवस, तुलसी, पत्र (मंजरी सहित) 50 ग्राम, अदरक 25 ग्राम तथा काली मिर्च 15 ग्राम को 500 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बनाएं, चौथाई शेष रहने पर छानकर तथा 10 ग्राम छोटी इलायची बीजों के महीन चूर्ण मिलाकर 200 ग्राम चीनी डालकर पकाएं, एक तार की चासनी हो जाने पर छान कर रख ले और इसका सेवन करें।
सिर दर्द से आराम दिलाता है तुलसी:
ज्यादा काम करने या अधिक तनाव में होने पर सिरदर्द होना एक आम बात है, अगर आप भी अक्सर सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं तो तुलसी के तेल की एक दो बंदे नाक में डालें। इस तेल को नाक में डालने से पुराने सिर दर्द और सर से जुड़ी अन्य रोगों में आराम मिलता है। सबसे जरूरी बात है यह है कि तुलसी के उपयोग करने का तरीका सही होना चाहिए।
दिमाग के लिए फायदेमंद तुलसी की पत्तियां:
दिमाग के लिए भी तुलसी के फायदे लाजवाब तरीके से काम करते हैं, इसके रोजाना सेवन से मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। इसके लिए रोजाना तुलसी की चार से पांच पत्तियों को पानी में साथ निकल कर खाएं।
चोट लगने से तुलसी का उपयोग:
चोट लगने पर भी तुलसी का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें रोपण और सूजन को कम करने वाला गुण होता है। तुलसी का यह गुण चोट के घाव एवं उनकी सूजन को भी ठीक करने में सहायक होता है।
दाद और खुजली में तुलसी के फायदे:
दाद और खुजली में तुलसी का अर्थ अपने रोपण गुण के कारण लाभदायक होता है। यह दादा में होने वाली खुजली को काम करता है, और साथ ही उसके घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। यदि तुलसी के अर्क का सेवन किया जाए तो यह रक्त शोधक (रक्त को शुद्ध करने वाला) होने के कारण अशुद्ध रक्त का शोधन अर्थात रक्त को साफ करता है, जो त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक पूर्ण होता है।
अपच से आराम दिलाता है तुलसी:
अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है या फिर आप पहचान या अजीर्ण की समस्या सीडी से रहते हैं तो तुलसी का सेवन करें, इसके लिए तुलसी की दो ग्राम मंजरी को पीसकर काले नमक के साथ दिन में तीन से चार बार लें।
मानसिक धर्म की अनियमित में तुलसी के बीज के फायदे:
शरीर में वात दोष के बढ़ जाने के कारण मानसिक धर्म की अनियमित हो जाती है। तुलसी के बीज में वैट को नियंत्रित करने का गुण होता है इसलिए इसका उपयोग मानसिक धर्म की अनियमित में किया जा सकता है। तुलसी का बीज कमजोरी दूर करने में सहायक होता है, जिसके कारण मानसिक धर्म होने के दौरान जो कमजोरी महसूस होती है उसका निवारण करने में मदद करता है।
सांसों की दुर्गंध दूर करें तुलसी का उपयोग:
सांसों की दुर्गंध ज्यादातर पाचन शक्ति कमजोर हो जाने के कारण होती है, तुलसी अपने दीपन और पाचन गुण के कारण सांसों की दुर्गंध को दूर करने में सहायक होती है। इसमें अपनी स्वाभाविक सुगंध होने के कारण भी यह सांसों की दुर्गंध का नाश करती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार:
तुलसी के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जिससे सर्दी जुकाम और अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। 20 ग्राम तुलसी के बी चरण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर रख ले। सर्दियों में इस मिश्रण की एक ग्राम मात्रा का कुछ दिन सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और वात एवं कफ से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा 5 से 10 मिली कृष्ण तुलसी पत्र स्वरस में दोगुनी मात्रा में गाय को गुनगुना घी मिलाकर सेवन करने से भी वात और कफ से जुड़े रोगों से आराम मिलती है।
प्रसव अथवा (डिलीवरी) के बाद होने वाले दर्द से आराम दिलाता है:
प्रसव के बाद महिलाओं को तेज दर्द होता है और इस दर्द को दूर करने में तुलसी की पत्तियां काफी लाभदायक है। तुलसी पत्र स्वरस में पुराना गुण तथा खंड मिलकर प्रसव होने के बाद तुरंत पिलाने से प्रसव के बाद होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:
तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन - शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति देता है:
बैक्टीरिया से संबंधित बीमारियों से बचने के लिए रोज तुलसी का सेवन करें क्योंकि तुलसी में बैक्टीरिया से लड़ने की अचूक शक्ति है।
शुगर और रक्त शर्करा को कम करता है:
शोध से स्पष्ट हैं की टाइप 2 शुगर वाले रोगियों में तुलसी का अर्क रक्त शर्करा को कम करने सहायक है। अगर आपको शुगर है तो रोजाना तुलसी की कुछ पतियों सुबह खाली पेट खाएं और स्वस्थ रहें।
नपुंसकता में लाभकारी:
तुलसी के बीज को चरण अथवा मल्चनों में बराबर की मात्रा में गुण मिलकर एक से तीन ग्राम की मात्रा में, गाय के दूध के साथ लगातार एक माह या 6 सप्ताह तक लेटे रहने से नपुंसकता में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग (त्वचा) रोग में तुलसी का रस का फायदे:
अगर आप कुष्ठ रोग से पीड़ित है तो जान ले की तुलसी का सेवन कुष्ठ रोग को कुछ हद तक दूर करने में सहायक होता है। पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार 10 - 20 मिली तुलसी पत्र स्वरस को प्रतिदिन सुबह पीने से कुष्ठ रोग में बहोत लाभ होता है।
उपयोग:
आमतौर पर तुलसी का सेवन नीचे लिखे हुए मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। अगर आप किसी खास बीमारी के इलाज के लिए तुलसी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सा की सलाह जरूर ले।
- चरण: 1 – 3 ग्राम
- स्वराज: 5 – 10 मिली
- सांद्रा सत: 0.5 – 1 ग्राम
- क्वाथ चूर्ण: 2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्श अनुसार।
परहेज:
आमतौर पर तुलसी का सेवन सुरक्षित होता है तुरंत अगर आप किसी खास बीमारी के इलाज के लिए तुलसी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सा की सलाह जरूर ले।
Conclusion:
अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) सामग्री विशुद्ध रूप से सूचनात्मक और शैक्षिक प्रकृति की है और इस चिकित्सा के सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कृपया किसी उपयुक्त प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य है दिगभल पेशेवर की परामर्श से ही सामग्री का उपयोग करें।
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FAQ:
क्या तुलसी के सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है ?
आयुर्वेद के अनुसार तुलसी में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता (इम्यूनिटी) पढ़ने में मदद करते हैं। यही कारण है की आयुर्वेदिक चिकित्सा सर्दियों के मौसम या मौसम में बदलाव (ऋतु परिवर्तन) के दौरान तुलसी के सेवन की सलाह देते हैं। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर जल्दी बीमार नहीं पड़ता है और कई मौसम बदलने में होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ती है।
सर्दी खांसी से आराम पाने के लिए तुलसी का इस्तेमाल कैसे करें ?
गअर आप सर्दियों के मौसम में अक्सर सर्दी जुकाम से परेशान रहते हैं तो तुलसी वाले चाय का सेवन करें। तुलसी की चाय सर्दी जुकाम दूर करने का रामबाण इलाज है। आप चाहे तो बाजार से सीधे तुलसी वाली चाय खरीद कर उसका सेवन कर सकते हैं या फिर घर पर बनाने वाली चाय में तुलसी की तीन से चार पत्तियों को डालकर इसका सेवन करें। इसके सेवन से सर्दी खांसी के लक्षणों से जल्दी आराम मिलता है।
सर्दियों में तुलसी ड्राप का प्रयोग कैसे करें ?
अधिकांश लोग खास तौर पर शहरों में लोगों के घर में तुलसी का पौधा नहीं होता है यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में तुलसी ड्राप का उपयोग अधिक होने लगा है। तुलसी के औषधीय गुना को प्राप्त करने का यह सबसे आसान तरीका है। एक का पानी में तुलसी ड्रॉप की एक दो बूंद डालकर पीना सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। यही सर्दी जुकाम समेत कई रोगों के इलाज में सहायक है।
घर पर तुलसी का काढ़ा कैसे बनाएं ?
तुलसी का कथा घर पर बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए दो का पानी में तुलसी की कुछ पत्तियां डालकर 10 से 15 मिनट तक पानी उबले या फिर इसे तब तक उबले जब तक अपनी एक चौथाई ना बच जाए। इसके बाद इसे छानकर हल्का गुनगुना होने पर पिए। यह कथा इम्युनिटी बढ़ाने, सर्दी जुकाम दूर करने और कोविद-19 जैसे गंभीर बीमारियों से बचाने में मददगार है।
सुबह तुलसी के पत्तियां खाने से क्या फायदे होते हैं ?
तुलसी की पत्तियों का सेवन शरीर को कई रोगों से बचाता है। आयुर्वेद के अनुसार रोजाना सुबह-सुबह तुलसी की चार से पांच ताजी पत्तियां तोड़कर चबाकर खाना सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। नियमित रूप से पत्तियां खाने से कफ संबंधी समस्याओं जैसे – अस्थमा, जुकाम आदि से आराम दिलाता है साथिया डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने में मदद गार है।
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